Koi Deewana Kehata Hai / कोई दीवाना कहता है By Dr. Kumar Vishwas - Jhuti Mohabbat
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Friday, October 11, 2019

Koi Deewana Kehata Hai / कोई दीवाना कहता है By Dr. Kumar Vishwas

Koi Deewana Kehata Hai / कोई दीवाना कहता है By Dr. Kumar Vishwas
Dr. Kumar Vishwas poetry  perfectly describes the bittersweet feeling of love. Today, we did not have any iconic literary figures like Ghalib, Dushyant Kumar or Sahir Ludhianvi to spell love for us. While their words have become immortal, transcending decades, we haven’t really come across many poets who describe love and heartbreak the way this generation feels it. And, among the very few is Dr. Kumar Vishwas, well know and very famous poet, whose poetry flows like a river.

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बैचेनी को, बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हूं, तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है

मोहब्‍बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है
यहां सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आंसू है
जो तू समझे तो मोती है, जो न समझे तो पानी है 

बहुत टूटा बहुत बिखरा, थपेड़े सह नहीं पाया,
हवाओं के इशारों पर मगर में बह नहीं पाया
अधूरा अनसुना ही रह गया यूं प्‍यार का किस्‍सा
कभी तुम सुन नहीं पाई, कभी मैं कह नहीं पाया

समुंदर पीर का अंदर है लेकिन रो नहीं सकता,
ये आंसू प्‍यार का मोती है, इसको खो नहीं सकता,
मेरी चाहत को दुल्‍हन तू बना लेना मगर सुन ले,
जो मेरा हो नहीं पाया, वो तेरा हो नहीं सकता

बस्‍ती बस्‍ती घोरी उदासी पर्वत पर्वत खाली पन
मन हीरा बे-मोल मिट गया, घिस घिस रीता तन चन्‍दन
इस धरती से उस अम्‍बर तक, दो ही चीज़ गजब की हैं,
एक तो तेरा भोलापन है, एक मेरा दीवानापन 

भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्‍वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे हर किस्‍सा मोहब्‍बत का
मैं किस्‍से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा

मैं जब भी तेज चलता हूं, नजारे छूट जाते हैं,
कोई जब रूप गढता हूं जो सांचे टूट जाते हैंं,
मैं रोता हूं तो आकर लोग कांधा थप-थपाते हैं
मैं हंसता हूं तो मुझसे लोग अक्‍सर रूठ जाते हैं 

मैं उसका हूं, वो इस एहसास से इंकार करता है
भरी मेहफिल में भी रुसवा मुझे हर बार करता है
यकि है सारी दुनिया को खफा है मुझसे वो लेकिन
मुझे मालूम है, फिर भी मुझी से प्‍यार करता है

जिसकी धुन पर दुनिया नाचे दिल ऐसा इकतारा है
जो हमको भी प्‍यारा है और जो तुमको भी प्‍यारा है
झूम रही है सारी दुनिया जब के हमारे गीतों पर 
तब कहती हो प्‍यार हुआ है, क्‍या एहसान तुम्‍हारा है

जो धरती से अम्‍बर जोड़े, उसका नाम मोहब्‍बत है
जो शीशे से पत्‍थर तोड़े, उसका नाम मोहब्‍बत है
कतरा कतरा सागर तक तो जाती है हर उम्र मगर,
बहता दरिया वापस मोड़े, उसका नाम मोहब्‍बत है

बदलने को तो इन आँखों के मंज़र काम नही बदले
तुम्हारे प्यार के मौसम, हमते ग़म नहीं बदले
तुम अगले जन्म में हमसे मिलोगी टैब तो मानोगी
ज़माने और सदी की इस बदल में हैम नही बदले

कोई खामोश है इतना, बहाने भूल आया हूँ
किसी की एक तरन्नुम में, तराने भूल आया हूँ
मेरी अब राह मत ताकना अरे ओ आसमा वालों
मैं एक चिड़िया की आंखों में उड़ाने भूल आया हूँ

ये दिल बर्बाद करके इसमें क्यों आबाद रहते हो
कोई काल कह रहा था तुम, इलाहाबाद रहते हो
ये कैसी शोहरतें मुझको अता कर दी मेरे मौला
मैं सब कुछ भूल जाता हूँ, मगर तुम याद रहते हो

पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना
मोहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में है
जो हो मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना 

मिल गया जो मुकद्दर वो खो के गुज़रा हूँ
मैं एक लम्हा हूँ हर बार रो के गुज़रा हूँ
राह-ए-दुनिया में मुझे कोई दुश्वारी नहीं
मैं तेरी ज़ुल्फ़ के पेंचों से हो के गुज़रा हूँ

नज़र में शोखियाँ, लब पर मोहब्बत का फसाना है
मेरी उम्मीद की जद में अभी सारा ज़माना है
कई जीते हैं दिल के देश, पर मालूम है मुझको
सिकंदर हूँ मुझे एक रोज़ खाली हाथ जाना है

सब अपने दिल के राजा है, सबकी कोई रानी है
भले प्रकाशित हो न हो पर, सबकी एक कहानी है
बहुत सरल है पता लगाना, किसने कितना दर्द सहा
जिसकी जितनी आंख हँसे है, उतनी पीर पुरानी है

इबारत से गुनाहों तक कि मंज़िल में है हंगामा
जरा सी पी के आये बस तो महफ़िल में है हंगामा
कभी बचपन, जवानी और बुढ़ापे में है हंगामा
जेहन में है कभी तो फिर कभी सील में है हंगामा

जब आता है जीवन मे, खयालातों का हंगामा
ये जज़्बातों, मुलाकातों, हसी रातों का हंगामा
जवानी की कयामत दौर में ये

अभी चलता हूँ, रास्ते को मैं मंज़िल मान लू कैसे
मसीहा दिल को अपनी जिद का कातिल मान लू कैसे
तुम्हारी याद के आदिम अंधेरे मुझको घेरे हैं 
तुम्हारे बिन जो बीते हैं, उन्हें दिन मान लू कैसे 

बताऊ क्या, मुझे ऐसे सहारों ने सताया है
नदी तो कुछ नही बोली किनारों ने सताया है
सदा ही शूल मेरी राह से खुद हट गए लेकिन
मुझे तो हर घड़ी हर पल बहारों ने सताया है

हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नही सकते
मगर रस्म-ए-वफ़ा ये है, के कुछ भी कह नही सकते
ज़रा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लो
जो लहरों में तो डूबे है मगर संग बह नही सकते 

तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ
तुम्हें मैं भूल जाऊंगा ये मुमकिन है नही फिर भी
तुम्हीं को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ

कभी कोई जो खुलकर है लिए दो पल तो हंगामा
कोई ख्वाबों में आकर बस लिए दो पल तो हंगामा
मैं उससे दूर था तो शोर था, शाजिश है शाजिश है
उसे बाहों में खुलकर कस लिया दो पल तो हंगामा

जहां हर दिन सिसकना है, जहां हर रात गाना है
हमारी ज़िंदगी भी एक तवायफ का घराना है
बहुत मजबूर होकर गीत रोटी के लिखे मैंने
तुम्हारी याद का क्या है, उसे तो रोज़ आना है

हमें दिल मे बसाकर अपने घर जाएं तो अच्छा हो
हमारी बात सुन ले और ठहर जाएं तो अच्छा हो
ये सारी शाम जब नज़रों ही नज़रों में बिता दी है
तो कुछ पल और आंखों में गुज़र जाए तो अच्छा हो

हमारे शेर सुनकर भी जो वो कगमोश इतना है
खुद जाने गुरुर-ए-इश्क़ में मदहोश कितना है
किसी प्याले ने पूछा है, सुराही से सबब मय का
जो खुद बेहोश है वो क्या बताये होश कितना है

ये उर्दू बज़्म है और मैं हिंदी माँ का जाया हूँ
जुबाने मुल्क की बहने है मैं ये पैगाम लाया हूँ
मुझे दुगनी मोहब्बत से सुनो उर्दू ज़ुबाँ वालो
मैं अपनी माँ का बेटा हूँ मैं घर मौसी के आया हूँ

मिले हर ज़ख्‍म को मुस्‍कान से सीना नहीं आया
अमरता चाहते थे पर गरल पीना नहीं आया
तुम्‍हारी और मेरी दास्‍तांं में फर्क इतना है
मुझे मरना नहीं आया तुम्‍हे जीना नहीं आया  

सदा तो घूप के हाथों में ही परचम नहीं होता
खुशी के घर में भी बोलो कभी क्‍या गम नहीं होता 
फकत एक आदमी के वास्‍ते जग छोड़ने वालों
फ़कत उस आदमी से ये ज़़माना कम नहीं होता

हर एक दरिया के होठों पर समन्‍दर का तराना है
यहां हर फर्द के आगे सदा कोई बहाना है
वही बातें पुरानी थी, वही किस्‍सा पुराना है
तुम्‍हारे और मेरे बीच में फिर से ज़माना है

कहीं पर जग लिए तुम भी कहीं पर सो लिए तुम भी 
भरी महफिल में भी अक्‍सर, अकेले हो लिए तुम भी
ये पीछे कुछ वर्षों की कमाई साथ है अपने
कभी तो हंस लिए तुम भी, कभी फिर रो लिए तुम भी

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