मै चाह कर भी नहीं बोल पाता,
तुम मेरी हमसफ़र बनोगी क्या?
बहुत कम बोलता हूँ मैं,
तुम मेरी अल्फाज़ बनोगी क्या?
फीके से हैं होठ मेरे,
मेरी मुस्कान बनोगी क्या?
कुछ सपने हैं मेरे पास,
उसकी उड़ान बनोगी क्या?
दर्द बहुत है जिंदगी में,
तुम हमदर्द बनोगी क्या?
तुम्हारे हिस्से का गम मैं सह लुँगा ,
तुम मेरी सच्ची खुशी बनोगी क्या?
मै तेरे हिस्से का पतझड़ बन जाऊँगा,
तुम मेरी बसंत की बेला बनोगी क्या?
सफ़र का अकेला मुसाफ़िर हूँ मैं,
तुम मेरी हमसफ़र बनोगी क्या?
तुम्हारे अमावस का दीपक मै बन जाऊँगा,
तुम मेरी पूर्णिमा का चाँद बनोगी क्या?
तुम्हारे सारे ख्वाब मै बन जाऊँगा
तुम मेरी चेतना बनोगी क्या?
मुझे तुमसे बेइंतहा मोहब्बत हैं,
तुम भी मुझसे मोहब्ब्त करोगी क्या?
मैं चाह कर भी नहीं बोल पाता,
तुम मेरी सिर्फ मेरी हमसफ़र बनोगी क्या?
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